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Vijay Kumar parashar "साखी"

Abstract

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Vijay Kumar parashar "साखी"

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दुनिया का रंगमंच

दुनिया का रंगमंच

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ये दुनिया एक रंगमंच है

सबका यहाँ किरदार है

कोई नही यहां बेकार है

कोई कम,कोई ज्यादा

निभाते सब क़िरदार है


कोई बनता नायक,

कोई बनता खलनायक,

कोई बनता यहाँ,

सहायक कलाकार है


सबका यहां क़िरदार है

चलचित्र वही कीर्ति पाता है

जिसका अभिनय दमदार है

कोई सच्चा अभिनय करता है


कोई झूठा अभिनय करता है

पर इस कलियुग में,

झूठे अभिनय की तेज धार है

सच्चे अभिनय अभी रहा हार है

सबका यहां क़िरदार है


दिखावे की अभिनय की

वर्तमान में हो रही भरमार है

अंदर कुछ,बाहर कुछ बताते है

सफ़ेद कपड़े बहुत दाग़दार है

जिंदगी के रंगमंच में,


वही सफ़ल होता है,

जोअपने अभिनय में ईमानदार है

सबका यहां क़िरदार है

नहींं कर रहा जो कोई घपला,


ख़ुदा पहनायेगा उसे हार है

वहीं दुनिया मे समझदार है

जो समझ रहा,हरवक्त,हरउम्र में

अपना सही यहां क़िरदार है

वही चलचित्र सदा याद रहेगा,


जिसका साफ,निर्मल व्यवहार है

अभिनय उसका लाजवाब होगा,

जो निभायेगा जीवंत क़िरदार है

पर छल,कपट के अभिनय से

जो शख्स दूर होगा,


वो होगा,

ख़ुदा का प्यारा किरदार है।


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