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राजेश "बनारसी बाबू"

Tragedy

4  

राजेश "बनारसी बाबू"

Tragedy

दुल्हन की विदाई की घड़ी

दुल्हन की विदाई की घड़ी

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विदाई हो विदाई शुभ घड़ी आई 

आज एक बेटी की विदा होने की घड़ी आई


बहना ये तेरा चेहरा मुरझाया सा क्यों है

ये चांँद सा चेहरा पड़ा फीका क्यों है


पापा आपके सीने से लग कर रोने को जी चाहता है

नहीं मेरी बिटिया तेरी इस बात पर हमें रोना आता है


पापा आप क्यों छुप छुप के रो रहे हो

तख्ती के पीछे छूप छूप क्यों आंँसू पोछ रहे हो


मेरी बिटिया अब तू रोना ना,

अपनी प्यारी अखियां भिगोना ना


चाचा यह कैसा रिवाज है?

आज एक बेटी को समाज कर रहा अनाथ है


पापा यह कैसा किस्सा है?

एक लड़की की जिंदगी का यह कैसा अहम हिस्सा है


बुआ चारों ओर बजी मृदंग और गूंज रही शहनाई है

एक लड़की के दिल से पूछो आज उसके दिल की क्या हालत हो आई है


दद्दा यह कैसी दास्तान यह कैसा रिवाज है?

आज एक बेटी से जुदा हो रहा उसका अपना परिवार है।


जब यह हमारा घर नहीं तो क्यों हमें यहां जन्म लेना पड़ता है?

अपना घर छोड़ के किसी बेगाने के घर को अपना कहना पड़ता है।


आज भैया तुम क्यों नहीं बोल रहे हो

आज अपनी इस छोटी से क्यों कुछ नहीं बोल रहे हो


मेरी बहना तू मेरी गुड़िया है

इस घर की छोटी सी जादू की पुड़िया है


तू हमारे रसोईघर घर की नीवं

इस घर की सबसे प्यारी गहना है।


तू इस घर की रूह इस घर का सबसे कीमती खिलौना है


 भैया आज क्यू मुझे खुद से बिमुख किया जा रहा 

मुझे आप सब से क्यूं दूर किया जा रहा


बिटिया तू मेरे जिगर का टुकड़ा है

हमारे जिंदगी का तू तो अहम हिस्सा है


हम बस जन्म देते तुम्हे संग रख सकते नही

किसी और के हिस्से की अनमोल अमानत हो तुम

उस के हिस्से को रख सकते नही।


मांँ एक बार अपने कलेजे से लगा लो ना

अपनी छोटी बिटिया को आंँचल में समा लो ना


दीदी हमसे क्यूं नजरे चुरा रही

यू हमसे अखियां क्यूं ना मिला रही


क्यूं ये हम लडकीयों पे जुल्म किया जाता है

क्यूं हमे अपने परिवार से अलग किया जाता है


छोटी हम लड़किया एक पंक्षी है

हम सब ना प्यार से वंचित है 


ये लोग पहले हमें हंसाते है मंगल गीत गाते है

रैन बसेरे होते ही हमे आंगन से उड़ाते है।


आज इनका घर कल उनका घर जीवन भर त्याग की मूर्ति बनना है

हमेशा हमे लोगो के लिए परित्याग ही करना पड़ता है


बस कर मुन्नी मेरी आंंख भर आई है

तेरे अश्कों से तेरी ये काजल भी फैल आई है


भैया तेरी यादें बहुत रुलाएंगी बचपन की बाते हमे बहुत सताएंगी

मेरे नखरे सहना चोरी से मेरे बैग में तेरा चॉकलेट रखना सारी यादें बहुत रुलाएंगी


पापा को संभालो जरा 

कही तबियत खराब हो ना जाए जरा


भैया मेरे जाने के बाद मांँ को सम्भाल लेना जरा 

कही मेरे ना होने से उन्हें दुःख ओर परेशानी हो ना जाऐ जरा


मेरी बचपन की सहेली अब तुम बिन कैसे रह पाऊंगी

तुम बिन लगता जैसे अब मै मर ही जाऊंगी


भैया ऐसे कार में मुझे बैठाते क्यों हो 

क्यों अपनी छोटी को सीने से लगाते नहीं हो


पापा जब ये गाड़ी चलती है तो दिल धक धक करता है

आप सब से दूर होने से जैसे मेरा दिल बहुत तड़पता है।

पापा अब मुझे कुछ ना कहना है

अब खुद का गम खुद ही को सहना है

कसम मेरी खातिर पापा अब आप को भी खुश रहना है!


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