दुःशासन हुआ अधीर
दुःशासन हुआ अधीर
हे गिरधारी, मोहन मुरारी,
तुमने बहुत किये उपकार !
हे नंदलाला, मदन गोपाला,
बस मेरी नैया लगा दो पार !
जल में डुबत गजराज बचायो,
हिरण्याकुश को स्वर्ग पठायो !
ध्रुव के लिए ध्रुव लोक बनायो,
तुमने द्रौपदी की लाज बचायो !
उसकी कितनी लम्बी हो गई चीर,
भरी सभा में दुःशासन हुआ अधीर !
पूतना राक्षसी के कैसे वध कियो,
और मीरा के बिष को अमृत कियो !
हे गोवर्धन, हे देवकी नंदन,
सारा जग करता तुम्हारा बंदन !
