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Neeraj pal

Inspirational

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Neeraj pal

Inspirational

दर्शन ।

दर्शन ।

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कैसे तुझको पा सकूँ, कुछ समझ में न आता हे! भगवन।

 पाप किए इतने बहुतेरे, किस विधि हों तेरे दर्शन।।


 इस जन्म में तो कुछ कर न पाया, ऐसा जग ने है भरमाया।

 फिर भी आस तुमसे है इतनी, तुमको कभी भी भुला ना पाया।।


 कहाँ-कहाँ पर तुमको ढूँढा, फिर भी कुछ हाथ ना आया।

 "ईश्वर अंश जीव अविनाशी", इतना भी मैं समझ ना पाया।।


 अहंकार युक्त बना यह जीवन, लेना सका प्रभु तेरा नाम।

 गृहस्थी को ही सब कुछ समझा, कर ना सका कुछ अच्छे काम ।।


विकारों से भरी है काया, निर्मल मन की औकात कहाँ।

 दोषमुक्त होने के खातिर, दर-दर ढूँढा, तुम छिपे कहाँ।।


 रहना नहीं देश विराना है ,कहता फिरता गली-गली।

 रहनी- सहनी सुधार ना पाया, सब को कहता बुरी-भली।।


 सुख- दुख है जीवन का हिस्सा, तभी तो होता है परिवर्तन।

" नीरज" तो अंधकार में डूबा, चाहता सिर्फ तुम्हारे ही दर्शन।।


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