दरस की तमन्ना
दरस की तमन्ना
मै हूं तेरी प्रेम दिवानी,
दिल में तस्वीर है तेरी,
ढुंढती हूं मै तुज़े वृज़ में,
दरस की तमन्ना है मेरी
बावरी बनके घुम रही मै,
प्यास है मधुर मिलन की,
न तड़पा मेरे प्यारे बलमा,
दरसकी तमन्ना है मेरी।
हर पल बिता रही हूं मै ,
नयनोbमें अश्रुं है भारी,
प्रगट हो जा हे गिरिधारी,
दरसकी तमन्ना है मेरी।
तरस रही है अखियां मेरी,
देखनेको सुंदर सूरत तेरी,
आकर मुज़े शरण में ले ले,
दरसकी तमन्ना है मेरी।
बहोत आतुर हो गई हूं मै,
सुनने को "मुरली" तेरी,
ओ मोर मुकुट धारी मुझे
दरसकी तमन्ना है तेरी।
रचना-धनजीभाई गढीया "मुरली"
यह रचना मेरे प्रेरणादायक गुरु प. पू. गोस्वामी
श्री ईन्दिरा बेटीजी महोदयाके चरनोंमें समर्पित
करता हूं।
