दर्द
दर्द
ख़लिश-ए-पैहम मुद्दत से छुपाये बैठे हैं,
एक पत्थरदिल से दिल लगाये बैठे हैं।
ख़ुदा-न-ख़्वास्ता तू कभी इस दर्द से गुज़रे,
जो दर्द हम अपने सीने में बसाये बैठे हैं।
ख़लिश-ए-पैहम मुद्दत से छुपाये बैठे हैं,
एक पत्थरदिल से दिल लगाये बैठे हैं।
ख़ुदा-न-ख़्वास्ता तू कभी इस दर्द से गुज़रे,
जो दर्द हम अपने सीने में बसाये बैठे हैं।