दर्द
दर्द
वक़्त से उस दिन मिलना हुआ
ना उन्होंने कुछ कहा
ना हमसे इशारा हुआ
प्यार था
लेकिन इकरार नहीं
ना जाने कौन कश्मकश में
जिंदगी चल रही थी
एक दिन हमने
इजहार कर लिया
ना गवाह झूठा था
ना मोहब्बत गुनाह था
तुमने कहा तुमने कभी
हमसे प्यार ही नहीं किया था
तुमने हमारी दोस्ती भी तोड़ दी
और चले गए हमेशा के लिए
दर्द हुआ हमको
ना जख्म भर पाया
ना ज़िंदगी ने दूसरा मौका दिया
अगर ज़िक्र करना गुनाह था
तो कह दिया होता हमको
क्यूं दर्द दिया ?
दर्द महसूस हुआ
हमारे सीने को ज़ालिम कर दिया
क्या प्यार करना गुनाह था ?
क्या भर पाएगा कभी
ये दर्द जो तुमने दिया ?
