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Anju Garg

Tragedy

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Anju Garg

Tragedy

दर्द

दर्द

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दर्द अश्क बन लम्हा लम्हा पिघलता गया

रूह से मेरी वो कतरा कतरा निकलता गया

सदियों से रिश्तों की डोर से बन्ध कर वो

मुसाफिर था जिस्म का साँसों की साज पर बजता गया।।

दर्द अश्क बन लम्हा लम्हा पिघलता गया।।


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