Anju Garg
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बिखरती नीव को किस तरह संभालू
पल पल मर रही है ज्ञान की धारा ।।
नीतियों पर नीतियाँ नित बन रही हैं
कौन सी नीति से मैं सार्थक ज्ञान निकालूं ।।
धारा
दर्द