दर्द सहने कीआदत हुई है।
दर्द सहने कीआदत हुई है।
मुझे दर्द सहने की आदत हुई है।
उसे इस कदर चाहने जो लगा हूं।।1।।
समझना नहीं मुझे अब किसी को।
उसे इस कदर सोचने जो लगा हूं।।2।।
मांगता हूं माफी खुदा से हमेशा।
उसे इस कदर पूजने जो लगा हूं।।3।।
तन्हा नहीं है जिंदगी अब मेरी भी।
उसमें इस कदर रहने जो लगा हूं।।4।।
आने पर उनके गम तो जाने लगे।
ख्वाहिशों को जब से जीने लगा हूं।।5।।
लगने लगा है वह खुदा सा मुझे।
उसे इस कदर मानने जो लगा हूं।।6।।
अपनो से दूरियां कर ली है बहुत।
संग में उसके जब से रहने लगा हूँ।।7।।
दिल आशना हो गया है मेरा भी।
उसमें खुद को देखने जो लगा हूं।।8।।
करने लगा अबतो शायरी मैं भी।
उसे इस कदर जानने जो लगा हूं।।9।।
मोहब्बत खुदा से यूँ होने लगी है।
उसको रब सा देखने जो लगा हूं।।10।।
कहने लगे आशिकी चिश्ती मुझे।
सूफियों सा मैं नाचने जो लगा हूं।।11।।