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कवि धरम सिंह मालवीय

Abstract

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कवि धरम सिंह मालवीय

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दर्द पर मुस्कुराना नही चाहिए

दर्द पर मुस्कुराना नही चाहिए

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हाल सबको सुनाना नहीं चाहिए

बात दिल की बताना नहीं चाहिए


हो सके तो घायलों का सहारा बनो

दर्द पर मुस्कुराना नहीं चाहिए


प्यार में दर्द तुम्हे मयस्सर हुआ

अश्क आखों में आना नहीं चाहिए


मतलबी हैं जहाँ मतलबी लोग हैं

दिल किसी से लगाना नहीं चाहिए


 राज पहुंचे हमारे भी गैरों तलक

बात अपनी सुनाना नहीं चाहिए


जो जला ना सको प्यार का इक दिया

धरम बस्ती भी जलाना नहीं चाहिए!


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