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कुमार अविनाश (मुसाफिर इस दुनिया का )

Tragedy

5.0  

कुमार अविनाश (मुसाफिर इस दुनिया का )

Tragedy

दर्द मेरा तुम अब जानोगी कैसे?

दर्द मेरा तुम अब जानोगी कैसे?

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दर्द मेरा तुम अब जानोगी कैसे ?

मुझको अपना अब मानोगी कैसे ?

तुम्हारे लिए तो मैं अब भी जगता हूँ,

तुम मेरे लिए अब जागोगी कैसे ?


रूठा तो मुझसे मेरा वक्त है ,

अब उसको मनाओगी कैसे ?

दीवार तेरे मेरे दरम्यान बहुत हैं,

अब भला तुम आओगी कैसे ?


प्रेम तुमसे मेरा है सच्चा, 

उसको भला तुम भुलाओगी कैसे ?

जी तो रहा हूँ तुम्हारे बगैर भी, 

भला तुम बिन मैं अपना घर बसाऊँ कैसे ?


दर्द हद से जब गुजर ही गया,

तो फिर खुशी मनाऊँ कैसे ?

तुम बिन घर बसाऊँ कैसे ?

तुम मानो या ना मानो ,

तुम्हारे लिए अपने जज्बात छुपाऊँ कैसे ?


रूह से रूह दिल से दिल जब मिल ही गये, 

फिर जीवन मैं तन्हा बिताऊँ कैसे? 

देख दुनिया की हकीकत ,

अब मैं किसी को बताऊँ कैसे?


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