दर्द की छाया दिल में
दर्द की छाया दिल में
जी हां दर्द की छाया दिल में ही दबा के रखनी पड़ती।
कभी-कभी हालात के कारण कभी किसी और कारण से
जब आपकी कोई बात पूरी ना हो।
और उसका दर्द आपको दिल में सताता रहे
तो उसे बात को दिल में दबा कर ही रखना पड़ता है।
और उसकी छाया समय-समय पर उठकर सामने आती है।
जो ना कही जाए ना सही जाए ऐसा बहुत लोगों के साथ होता है।
हमारे साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ है।
दिल में बहुत अरमान थे डॉक्टर बनने के।
एक सपना जो ना पूरा हो सका कभी परिस्थितियों के कारण
दिल के किसी कोने में छुपा कर बैठा है।
कभी-कभी सपने में आ ही जाता है
और उसे समय की परिस्थितियों के हाल बयां कर जाता है।
कि किस कारण तुम ना बन पाए डॉक्टर मगर डॉक्टर जीवनसाथी तो पा लिया ।
मेडिकल नहीं तो पैरामेडिकल ही करके मेडिकल फील्ड तो पा लिया।
इतनी ही तसल्ली अपने आप को दे जाते हैं।
और अपने इस दर्द को दिल में दबा जाते हैं कि हम डॉक्टर ना बन पाए।
ईश्वर इच्छा समझकर इसको हम अपना ही जाते हैं।
और अपनी जिंदगी को सुकून से जी जाते हैं।
