दरबार मेरी माता का
दरबार मेरी माता का
जगमग जगमगाए दरबार मेरी माता का
पगपग पुष्प खिलखिलाए हर बार मेरी माता का।
जगत जननी जगदंबा माँ तू कहलाती है
दुर्गा काली लक्ष्मी अम्बा दुनिया पहचानती है।
सारे जग मे होती जय-जयकार मेरी माता का
दसों दिशाओं पहुँचे तेरा हाथ दस भुजाओं वाली।
कभी न छोड़े साथ मेरे आप दस बिद्दाओंवाली
मंदिरो भक्तों लगा अंबार मेरी माता का।
माथे की बिंदिया चम चम चमके, कानों बाली लटके
काली केश कंधे लहराए बड़ी बड़ी आँखें कृपा बरसे।
लाल लाल चुनर छाए पूरे संसार मेरी माता का
पायल पावों मे छमछम छमके संग मेहँदी महावर महके।
शंख चक्र कमल कृपाल गदा भाला माला कर रह रह दमके
कभी न छोड़े भारती चरण इस बार मेरी माता का।
