दोस्तों को भूलना.....
दोस्तों को भूलना.....
ये मिलना मिलाना कितनी अच्छे लगते,
अगर दोस्त अपनी पुरानी साथ होते,
लगता जैसे खोया हुआ कुछ पल होते,
दौलत सहरत कुछ काम नहीं आते,
दोस्तों के सामने तो सब फिके पड़ जाते,
वो तो चेहरे को देख सब समझ जाते,
बिना बोले बस आंसुओं को पोछ डालते,
अबतक क्या मिला, ये नहीं पूछा करते,
पुराने यादें को यूँ फिरसे ताजे करते,
जब वो मिलते वक़्त देखा नहीं करते,
वक़्त ही उनकी मिलन को याद रखते,
दोस्तों को भूलना कभी आसान नहीं होते...........
बड़े नशीब मे अच्छे दोस्त मिला करते,
उनका मिलना भी पहेले से तय होते,
और ये वक़्त तो मिलाना का काम करते,
दोस्त तो किसी बाजार मे भी नहीं बिकते,
उनकी दोस्ती बड़ा अनमोल तोफा होते,
बेचनेवाले का कोई औकाद नहीं होते,
उसकी कीमत कोई दे भी नहीं सकते,
वो नहीं होते तो ये नगमे किसे सुनाते,
उनके बिना ग़ालिब भी ग़ालिब ना होते,
आज लबसों से भरी कबिता क्या लिखते,
अभिमान से कभी कोई आँख ना चुराते,
दोस्तों को भूलना कभी आसान नहीं होते...........
जब सारे दोस्त एक साथ मिला करते,
मन की सारे गम को सब यूँ भूल जाते,
पुरानी बचपन की सरारते करते,
बातों में एक दूसरे को कहने भी लगते,
कोई भी खुद की उम्र का ख्याल ना करते,
ये उम्र भी क्या करें? उनको रोक ना पाते,
पर कभी उनको जुदाई की गम देते,
कियूँ की सबको तो एक दिन जाने होते,
तब दिल की धड़कनें भी तेज हों जाते,
दर्द से फिर ये दोनों आँखे नम हों जाते,
उस दोस्ती को सब याद करते रहते,
दोस्तों को भूलना कभी आसान नहीं होते........
