दोस्ताना
दोस्ताना
दोस्ती करनी है तो किताब से करो
जो कभी साथ नही छोड़ती।।
क्यो भागते हो बेवफा के पीछे
एक दिन वो सताएगी।।
मोहब्बत करनी है तो कलम से करो
जिसकी लिखावट कभी न मिट पाएगी।।
दोस्ती करनी है तो पेंसिल से करो
जो मिट जाने पर भी दाग छोड़ जाएगी
मत कर गुरुर इस जवानी पर
ये भी एक दिन मिट्टी में मिल जाएगी
क्यो भागते हो राजनीति के पीछे
यह सिर्फ बदनामी है
यह भाषण देते काम की
यह बेचते ईमान है
क्यों भागते हैं धर्म के चक्कर में
धर्म तो कही जुबानी है
दोस्ती करनी है तो पर्यावरण से करो
जो हमे प्रदूषित होने से बचा है
दोस्ती करनी है तो बेजुबान किताब से करो
जो कभी भी तुम्हारा साथ नही छोडेगी।।