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Sushil Kumar pal

Others Children

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Sushil Kumar pal

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मंजिल

मंजिल

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कोई हमें पागल समझता कोई समझता दीवाना

 रास्ते में कितने भी कांटे आए हमें उसे है हटाना


 हमने ठानी है उस मंजिल के पार है जाना।।

लोग हमें क्या कहेंगे इसकी कोई परवाह नहीं


रास्ते कितने भी कठिन हो इसका कोई डर नहीं

जहां कहीं भी पांव रखें हमें उससे नहीं घबराना


हमने ठानी है उस मंजिल के पार है जाना।।

समुंदर की लहरों से सीखा अपना रास्ता बनाना


आग की अंगारों से सीखा नफरत को जलाना

जलते हुए दीपक से सीखा एक दूसरे के दिल मे प्रेम  बढ़ाना


कोई हमें पागल समझता कोई समझता दीवाना

हमने ठानी है उस मंजिल के पार है जाना।


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