दोस्त
दोस्त
कुछ दोस्त उसके।
उसे मौत के मुंह तक ले गए।
घर की चोखट पर आ के उसके।
जिंदगी से दूर सबसे दूर ले गए।।
कुछ दोस्त उसके।
फरेबी चेहरों को वो जान ना पाया।
मतलबी इरादों को भी भाप ना पाया।
जिसने किसी ने भी चेहरा दिखाया।
सच दोस्तों का उसे कभी ना नज़र आया।
कुछ दोस्त उसके।
उसे मौत के मुंह तक ले गए।
घर की चोखट पर आ के उसके।
जिंदगी से दूर सबसे दूर ले गए।।
बार-बार धोखों को नजरअंदाज करता रहा।
>सबको अपने जैसा समझ माफ करता रहा।
सोचता था ....रब सब देखता है।
फिर क्यों अच्छे लोगों की जिंदगी में बुरों को भेजता है।
जिंदगी के सुख -चैन से इस तरह से आराम से खेलता है।
कुछ दोस्त उसके।
उसे मौत के मुंह तक ले गए।
घर की चोखट पर आ के उसके।
जिंदगी से दूर सबसे दूर ले गए।।
काश ! वक्त रहते समझ जाता।
झूठे चेहरों पे विश्वास से बच पाता।
दोस्तों को बातों में आ......बिना कुछ कहें।
काश ! उस दिन जिंदगी से अपनों से दूर ना हो जाता।