दोस्त... फर्ज़ निभा जाना..!
दोस्त... फर्ज़ निभा जाना..!
मैं दुर्योधन बनूँ या सुदामा..
तुम कृष्ण कर्ण सी दोस्ती निभाना...!
मैं जब जब तुम्हें पुकारूँ...
तुम कर्ण बनकर
अपना फर्ज़ निभा जाना...!
ना तीनों लोक की चाहत
ना विजय की चाह
मैं सुदामा बन
बस तकती रहूँ तुम्हारी राह..