दोहे (गुरु की महिमा)
दोहे (गुरु की महिमा)
पहले गुरु माता पिता, दूजे गुरु हैं भगवान।
फिर गुरु मेरे ईष्ट हैं, जिनसे मिला है ज्ञान।
गुरु की थाह न पा सके, जिनसे है संसार।।
गुरु ही परम ब्रह्म हैं, जो करते उद्धार।।
गुरु ने सब सिखला दिया, करें पाप, पुण्य पर विचार।।
पुण्य कर्म से सुख मिले, वरना सब बेकार।।
गुरु से मिलता धर्म ज्ञान, सब जन एक समान।।
जो भी इसमें निपुण हुआ, वह सच्चा इंसान।।
गुरु ने पकड़ा हाथ जो, तर गई भव से पार।।
एक गुरु ही सत्य हैं, झूठा सब संसार।।
