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Mahavir Uttranchali

Tragedy

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Mahavir Uttranchali

Tragedy

दोहा गीत

दोहा गीत

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मैंने इस संसार में, झूठी देखी प्रीत

मेरी व्यथा-कथा कहे, मेरा दोहा गीत

मैंने इस संसार में ….


मुझको कभी मिला नहीं, जो थी मेरी चाह

सहज न थी मेरे लिए, कभी प्रेम की राह

उर की उर में ही रही, अपना यही गुनाह

कैसे होगा रात-दिन, अब जीवन निर्वाह।


जब भी आये याद तुम, उभरे कष्ट अथाह

अब तो जीवन बन गया, दर्द भरा संगीत

मेरी व्यथा-कथा कहे, मेरा दोहा गीत।


आये फिर तुम स्वप्न में, उपजा स्नेह विशेष

निंद्रा से जग प्रिये, छाया रहा कलेश

मिला निमंत्रण पत्र जो, लगी हिया को ठेस

डोली में तुम बैठकर, चले गए परदेस।


उस दिन से पाया नहीं, चिट्ठी का सन्देश

हाय! पराये हो गए, मेरे मन के मीत

मेरी व्यथा-कथा कहे, मेरा दोहा गीत।


छोड़ गए हो नैन में, अश्कों की बौछार

तिल-तिलकर मरता रहा, जन्म-जन्म का प्यार

विष भी दे जाते मुझे, हो जाता उपकार

विरह अग्नि में उर जले, पाए दर्द अपार।


छोड़ गए क्यों कर प्रिये, मुझे बीच मझधार

अधरों पर मेरे धरा, विरहा का यह गीत

मेरी व्यथा-कथा कहे, मेरा दोहा गीत।


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