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SHWETA GUPTA

Inspirational

5.0  

SHWETA GUPTA

Inspirational

दो प्रश्न

दो प्रश्न

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जीवन के इस कठिन दौर में, मैं पूछ रही हूँ खुद से

मैंने क्या खोया? मैंने क्या पाया?


प्रथम पग धरती पर रखकर, मैंने माँ की ममता पाई।

पिता के प्यार को भी जाना, इनको पाकर मैं इठलाई।


पग-पग कर के चलना सीखा , सीखी मैंने बहुत सी बातें।

जाना सूरज की गर्मी को, जानी चांदनी की ठंडी रातें।


खुली मेरी अन्य पंखुड़ियाँ, जब ज्ञान की महिमा जानी।

दुनिया के बारे में जाना, स्वयं से बन गई मैं अनजानी।


फिर एक पल ऐसा आया, जब अपने सभी बने बेगाने।

सूनी हो गई मेरी दुनिया, और लगी मैं आँसू बहाने।


एक - एक कर तिनका फिर जोड़ा, मैंने अपना जगत समेटा।

श्रम की महिमा को तब जाना, स्वयं को समझा फिर विजेता।


जीवन के इस कठिन दौर में, मैं बता रही हूँ खुद को

मैंने स्वयं को ही खोया। मैंने स्वयं को ही पाया।


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