दो कप चाय
दो कप चाय
चाय की खुशबू मीठी-मीठी बातें
दो कप चाय में सजती बीती यादें
बैठ हम बचपन के उन दोस्त संग
पीते दो कप चाय बहते जीवन रंग
मौन में भी पिया चाय का वो सिप
उतर गहराई में भर देता एक डिप
चाय की मिठासभरी उसकी महक
जीवन में भर जाती शांति व चहक
जिंदगी की दौड़ में थोड़ा सा ठहराव
चाय की चुस्की बढ़ा देती नया लगाव
यादें संजोने का है ये खूबसूरत रास्ता
पचपन का इंसान बचपन का फरिश्ता
दो कप चाय का एहसास ही है अलग
होने ना दे कभी दोस्तों से नाते विलग
चाय की मिठास संग दिली रिश्ते-नाते
दो कप चाय से कट जाती संगीन रातें।