Ravi Jha
Drama
अल्फाज़ की तलाश में
खो रहा आकाश में
धरती चीख रही है
अंबर पुकार रहा है
धरती अंबर के दंव्द में
सोच रहा इंसान है
अरे पूछ अपने ज़मीर से
उसके क्या ख्याल है।
मोहब्बत
गज़ल
तुम
मुलाकात
खेतों का राग
कोशिश में हूँ
इश्क
बदनाम शायर!
भूखा भिखारी...। भूखा भिखारी...।
क्यों नहीं सुननी इस सड़कों पर गिरी बुंदों ने मेरी बात, क्यों नहीं सुननी इस सड़कों पर गिरी बुंदों ने मेरी बात,
भीगी हुई यादों के साए, हर लफ्ज़ में जल रहे हों। भीगी हुई यादों के साए, हर लफ्ज़ में जल रहे हों।
एक मर्मस्पर्शी कविता...। एक मर्मस्पर्शी कविता...।
बचपन के बारे में एक कविता...। बचपन के बारे में एक कविता...।
छोटे बच्चों को ना रोको, खेलने दो रेत में पाक रहने दो उन्हें, अपना गणित सिखलाओ मत...! छोटे बच्चों को ना रोको, खेलने दो रेत में पाक रहने दो उन्हें, अपना गणित सिखलाओ...
सत्य हूं मैं, बिक चुका हूं झूठ के बाज़ार में । मैं अकेला चल रहा हूं... सत्य हूं मैं, बिक चुका हूं झूठ के बाज़ार में । मैं अकेला चल रहा हूं...
लबों के छिपे राज़ो को जानते है, चलो आज कुछ नया करते है.. लबों के छिपे राज़ो को जानते है, चलो आज कुछ नया करते है..
जिसका गहना उसका मान सम्मान है औऱ जिसकी मुस्कुराहट उसके आज़ाद विचारों की पहचान है ! जिसका गहना उसका मान सम्मान है औऱ जिसकी मुस्कुराहट उसके आज़ाद विचारों की पहचान...
(मां समान) मम मातृ सामना (मां समान) मम मातृ सामना
इन मय-क़शी सदाओं में ज़रा सी अज़मत भर देना... गुज़ारिश है तुमसे, एक बार, बे-दिली से ही सही... ब... इन मय-क़शी सदाओं में ज़रा सी अज़मत भर देना... गुज़ारिश है तुमसे, एक बार, बे-...
आज लहू से मन की गाँठें, धीरे-से खोल रहा हूँ।। आज लहू से मन की गाँठें, धीरे-से खोल रहा हूँ।।
जब तख्त की ज़ुबाँ बोलनेे लगे अखबार, तो कैसे लिख दूँ कि कलम की ताकत अभी ज़िंदा है...। जब तख्त की ज़ुबाँ बोलनेे लगे अखबार, तो कैसे लिख दूँ कि कलम की ताकत अभी ज़िंदा ह...
विनाश सदैव विकल्प है प्रथम खटकाओ सभी द्वार...! विनाश सदैव विकल्प है प्रथम खटकाओ सभी द्वार...!
उस आशियाने की तलाश में हूँ, मकान बहुत मिलें बाजारों में,, उस आशियाने की तलाश में हूँ, मकान बहुत मिलें बाजारों में,,
नोकरी तो बस नोकरी है यह सत्य को माना है नोकरी तो बस नोकरी है यह सत्य को माना है
एक ही ज़िंदगी है, अपनी इच्छाओं को पूरी करो यही दुनिया के सारे द्वार खोलता है, मैंने भी सीखा कि अरमान ... एक ही ज़िंदगी है, अपनी इच्छाओं को पूरी करो यही दुनिया के सारे द्वार खोलता है, मैं...
यह लागन है कैसी, कभी राधा कभी मीरा जैसी। यह लागन है कैसी, कभी राधा कभी मीरा जैसी।
एक गज़ल...। एक गज़ल...।
जो मैं लिखता हूँ...। जो मैं लिखता हूँ...।