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Ravi Jha

Drama

5.0  

Ravi Jha

Drama

दंव्द

दंव्द

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270


अल्फाज़ की तलाश में 

खो रहा आकाश में 


धरती चीख रही है 

अंबर पुकार रहा है 


धरती अंबर के दंव्द में 

सोच रहा इंसान है 


अरे पूछ अपने ज़मीर से 

उसके क्या ख्याल है।


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