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V. Aaradhyaa

Inspirational

4.5  

V. Aaradhyaa

Inspirational

दिन की तरह उगना होगा

दिन की तरह उगना होगा

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जीवन में बाधाएँ आती हैं आएँ ,

घिरें प्रलय की घिरी घोर घटाएं !

पांवों के नीचे गरम गरम अंगारे ,

सिर पर बरसें यदि ये ज्वालाएँ !

 

निज तकलीफ में हँसते-मुस्कुराते ,

जिंदगी के दुःख से लड़ते झगड़ते !

दिल में जोश लाकर ही चलना होगा ,

क़दम से कदम मिला चलना होगा !


हास्य-रूदन में और बेहद तूफ़ानों में ,

इस असंख्यक भरे हुए बलिदानों में !

बड़े बड़े उद्यानों में और बड़े वीरानों में,

अपमानों में और मान और सम्मानों में !


उन्नत मस्तक और उभरा हुआ हो सीना ,

दुःख, कष्ट और पीड़ाओं में पलना होगा !

दिन जैसे उगना, शाम की तईं ढलना होगा ,

क़दम से कदम मिलाकर अब चलना होगा !


उजियारे में, अंधकार में, धूप व पनियाले में ,

कल व कहार में, बीच धार में तिरना होगा !

घोर घृणा में, प्रीत प्रेम में, जनमानस संहार में 

क्षणिक जीत में, दीर्घ हार में सम्भलना होगा !



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