दिन की तरह उगना होगा
दिन की तरह उगना होगा
जीवन में बाधाएँ आती हैं आएँ ,
घिरें प्रलय की घिरी घोर घटाएं !
पांवों के नीचे गरम गरम अंगारे ,
सिर पर बरसें यदि ये ज्वालाएँ !
निज तकलीफ में हँसते-मुस्कुराते ,
जिंदगी के दुःख से लड़ते झगड़ते !
दिल में जोश लाकर ही चलना होगा ,
क़दम से कदम मिला चलना होगा !
हास्य-रूदन में और बेहद तूफ़ानों में ,
इस असंख्यक भरे हुए बलिदानों में !
बड़े बड़े उद्यानों में और बड़े वीरानों में,
अपमानों में और मान और सम्मानों में !
उन्नत मस्तक और उभरा हुआ हो सीना ,
दुःख, कष्ट और पीड़ाओं में पलना होगा !
दिन जैसे उगना, शाम की तईं ढलना होगा ,
क़दम से कदम मिलाकर अब चलना होगा !
उजियारे में, अंधकार में, धूप व पनियाले में ,
कल व कहार में, बीच धार में तिरना होगा !
घोर घृणा में, प्रीत प्रेम में, जनमानस संहार में
क्षणिक जीत में, दीर्घ हार में सम्भलना होगा !