STORYMIRROR

Chitranshu Bhatnagar

Tragedy

3  

Chitranshu Bhatnagar

Tragedy

दिल्ली लहूलुहान है..

दिल्ली लहूलुहान है..

1 min
246

दिल्ली लहूलुहान है

धुआँ धुआँ सा आसमां है

कहीं हिन्दू है

कहीं मुसलमान है

पर दीखता नहीं इंसान है

दिल्ली लहूलुहान है


भारत की पावन धरती पर

होता कुछ घमासान है

कहीं जलती हुई गाड़ियों से

उठता धुआँ

कहीं जातियों के नाम पर

खुदता है कुआँ

कोई गोली से होली मना रहा

कोई बम से दीवाली मना रहा

रास्ते बिखरे हैं कुछ टूटे हुए

पत्तों की तरह

जाने कैसे खुश इंसान है

दिल्ली लहूलुहान है

धुआँ धुआँ सा आसमां है


आओ मिलकर बंद करें हम

मौत के कुएँ जैसा खेल

एक कदम बड़ा कर देखो

आज करा दे सबका मेल

फिर से समय ले आये हम तुम

जहाँ खिलता हुआ मंज़र हो

अपनी दिल्ली प्यारी दिल्ली

हर इंसान के अंदर हो

मिलकर हम सब बचाएंगे अब

न कोई द्वेष रहेगा मन में

निकलेंगे फिर से सूरज की तरह

रोशन होगी दिल्ली दिल में



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy