तू खुद को ढूंढने निकल
तू खुद को ढूंढने निकल
तू खुद को ढूंढ़ने निकल
तू किस लिए उदास है
तेरे लिए ही तेरे पास
खुद का विश्वास है
तू खुद को ढूढ़ने निकल
चल रहा ये वक़्त है
घड़ी घड़ी बदल रही
समय के साथ दौड़ चल
तेरी ज़िन्दगी संवर रही
तू खुद को ढूंढ़ने निकल
तू छाँव है तू धूप है
तू ही खुदा का रूप है
तू खुद के अंदर झांक ले
निखर रहा स्वरुप है
न डर कभी
न रुक कभी
अटल रहे न झुक कभी
तू ऐसे चल बदल सके
हवाओं का भी रुख कभी
तू खुद को ढूंढने निकल।
