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Antariksha Saha

Abstract

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Antariksha Saha

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दिल टूटा है मगर

दिल टूटा है मगर

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दिल टूटा है मगर

याद धुंधली नहीं अगर

तो क्या करें


लोग छोर ऐ है मगर

हम अकेले हैं अगर

तो क्या करें


खुदा तेरी नियामत देख

लोग भूले ना भूले

पल बीते ,जिए ना जिए


यह इलतजा शुरूआत तेरी कारिस्तानी से हुआ

तू ही कर खतम

यादें तड़पाती हर कदम

खोया मैंने जो कभी मेरा न था

खोया तूने जो तेरा ही था


हारे हम भी नहीं

जिंदगी पटरी पर फिर से आ गई

बस एक खलिश सी रह गई

अगर वो होती तो क्या होता

अगर बेरुख रूसवत मे हम राजी होते तो क्या होता


याद तुझे भी आता होऊंगा जरूर

एक मुस्कान की तरह

या अश्रुधारा की तरह

कौन जाने


शायद हर सवाल का जवाब नहीं होता

हर जवाब पर दिल साथ नहीं देता

यही जिंदगी जो जिए जाते हैं

याद उसकी सिए जाते हैं।



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