दिल तो बच्चा है जी
दिल तो बच्चा है जी
दिल तो आज भी बच्चा है जी मगर नहीं कच्चा है जी।
करता है बच्चों सी अठखेलियाँ, बिल्कुल सच्चा है जी।।
कभी अनोखा पतंग बन आसमान में उड़ना चाहे जी।
रंग बिरंगी मतवाले पतंगों की डोर काटना चाहे जी।।
कभी बारिश की बूंदों में भीगते हुए उछलना चाहे जी।
कभी कागज की नाव बन पानी में तैरना चाहे जी।।
कभी फूलों पर भवरों सा मंडराना चाहे जी।
कभी मधुमक्खी बन फूलों की मिठास पाना चाहे जी।।
दिल तो बच्चा है जी, बढ़ती उम्र तो गच्चा है जी।
बेफिक्र दौड़ना चाहे जी झूलों पर भी झूलना चाहे जी।।
बंदिशों से दूर रह अपनी मर्जी ही चलाना चाहता जी।
आज भी यह नादान है करता है बहुत गुस्ताखियां जी।।