दिल से दिल
दिल से दिल




नहीं कहता कि मैं तेरे साथ के काबिल हूँ
पर कहता हूँ कि तेरे अहसास के काबिल हूँ
मैं कोई गुलाब नहीं जो तू संभाल कर रख ले
मैं तो वो खुशबू हूँ जो हवाओं में दाखिल हूँ
छुपाना भी चाहो तो न छुपाकर रख पाओगे
मेरा काम है फैलना मुझे फैलता ही पाओगे
मेरे संग रहने की शर्त है बहुत ही निराली
तुम यूँ मेरे दर से खाली हाँथ नहीं जा पाओगे
नहीं कहता कि तेरी चाहत का साहिल हूँ
पीकर रंज दुनियाँ के मैं हसने में माहिर हूँ
हर पल की खुशियाँ तेरे लिए भी लुटाता रहूँ
इसके लिए जरूरी नहीं कि मैं तेरे काबिल रहूँ
नहीं कहता कि दिल में केवल तुम थी
तुम ही हो और तुम ही रहोगी
पर ये कहता हूँ कि दिल मे कहीं तुम थी
तुम हो और तुम भी रहोगी
मोहब्बत भी क्या खूब है
खुद से खुद को मिटाने का तरीका
हम भी सीखेंगे तुमसे
खुद से खुद को मिटाने का सलीका
माना कि हम अधूरे ही सही
ख्वाब पूरे न सही
फिर भी दिल मे कोई फरेब नहीं
कहीं इससे तो परहेज नहीं
मैं भी कर सकता था मोहब्बत
किसी और सी बनावट की तरह
करने को कर सकता था दिल्लगी
औरों सी दिखावट कि तरह
नहीं है मुझमे चाहत यूँ किसी को भी
पा लेना बगावत की तरह
मैं प्रेम को प्रेम से जीतने पे रखता हूँ
विश्वास इबादत की तरह।