दिल रोता है
दिल रोता है
वो कहते हैं तेरी खनकती हंसी में कोई राज़ है
ऐसे तो दिखती है तू खुश मगर दिल से उदास है
क्या बताऊं उन्हें, इश्क ने गदाई में जो दी दौलत मुझे,
ये उसी की रोशनाई है, इससेलिखते हैं तकदीर हम अपनी।
हसरत नहीं हमें फूलों की, हमने तो शूलों से वफ़ा पाई है।
फूलों की सेज पर तो बदलते हुए करवटें बीती है शब हमारी,
नहीं होती कभी कोई सिलवट बिछावन पर हमारी,
चुभते हैं हमें नश्तर से वो फूल शब सारी, शबे- हिज्रा में ना
पुछो क्या हाल होता है, गुनगुनाते हैं लब और दिल रोता है।
कसम ले लो नहीं रोते उनकी बेवफाई पर, किए अपने पे नादां हैं
वाक़िफ थे उनसे, उनकी जफ़ा से,फिर खुदा से उन्हीं को मांगा है
मिलते ही नज़र हो गया दिल उन्हीं का, क्या बताएं कैसे ये हादसा हुआ
सुना था मोहब्बत उसे दुआएं देती है, जो चोट खाए और गिला ना करें।
हम पीने के आदी तो नहीं थे, उनकी बेवफाई ने पीना भी सीखा दिया
अब तो ये आलम है कि उन्हीं के खुशनुमा वजूद में गुम हो गए हैं हम
ग़र तलाशे कोई हमें तो उन्हीं में ही मिल जाएंगे हम।