दिल ना उम्मीद तो नहीं
दिल ना उम्मीद तो नहीं
दिल ना उम्मीद तो नहीं नाकाम ही तो है।
लंबी है ग़म की शाम मगर शाम ही तो है।
इश्क़ में दिल का टूट जाना आम ही तो है।
फिर कोशिश करना इसका काम ही तो है।
तू उसको खुश रखने के जतन करता चल।
उसके दिल को याद रहेगा तेरा नाम ही तो है।
उसके लिए जान कुर्बान करनी हो तो न सोच।
क्योंकि दुनिया करेगी तुझे सलाम ही तो है।
(प्रेरणास्रोत: फैज़ अहमद फैज़ जी)