दिल में ऐसे अरमान सजाए
दिल में ऐसे अरमान सजाए
ख़्वाब सजाए आँखों में, दिल में ऐसे अरमान सजाए
निकलते हैं कितने पैर सुबह सफर में जरूरी सामान सजाए
हर ओट से छोड़ आती है जल्द लौट आने की आशा लगाए
घर की चौखट राह देखेगी, सांझ को तुम्हारे दीपक जलाए,
नन्ही बिटिया चलेगी संग कुछ दूर तक तुम्हें छोड़ आने को,
तुम कहोगे लौट जाओ अब शाम को लाऊंगा तुम्हें खाने को,
फिर भी तुम्हारे पैर चलेंगे, बे-मन न जाने का बहाना बनाए,
थकान कहेगी आज न जा पर लगी है फिर व्यर्थ की चिंताएं,
ख़्वाब सजाए आँखों में, दिल में ऐसे अरमान सजाएं
निकलते हैं कितने पैर सुबह सफर में जरूरी सामान सजाए।।