दिखती हूँ मैं माँ जैसी, हूँ बिल्कुल पापा जैसी
दिखती हूँ मैं माँ जैसी, हूँ बिल्कुल पापा जैसी
सब कहते हैं दिखती हूँ मैं माँ जैसी
पर हूँ मैं बिलकुल पापा जैसी।
कर्तव्यों को पूरा करना और वचंबाध हो
अपने को भुला देना, कुछ यूँ हैं मेरे पापा।
कठोर शब्दों का ताज लिए, अपनो को ख़ुद से दूर किए
बस ख़्वाहिशों को कुछ पूरा कर देना, कुछ यूँ हैं मेरे पापा
शक्ल सूरत से दिखती मैं माँ जैसी, रहती दिन भर साथ साथ
नज़रें टिकी सदा पापा पर, शब्दों को हक़ीक़त का रूप देते, कुछ यूँ हैं मेरे पापा।
पढ़ने में कमज़ोर रही मैं, हिम्मत दिलाए माँ
पर पापा की निराशा से मैं टूट जाती, मेरे भविष्य की चिंता.....उफ़ कुछ यूँ हैं मेरे पापा।
माँ का हाथ पकड़ कर, ऊँचे ऊँचे पहाड़ छड़ी मैं
पर नज़रें तलाशे मेरे पापा।
यूनफ़ॉर्म में देख मुझे वो जश्न करेंगे, बस इतनी लिए मैं ख़्वाहिश
मेरा जन्म व्यर्थ ना हुआ जहाँ में , मुझे फक्र करे....कुछ यूँ हैं मेरे पापा।
दिखना सवारना सब माँ जैसा मैं करती, पर सीरत लिए हूँ उनकी
शब्दों के धनी ना वो थे ना मैं, पर कर्तव्यों से निराश ना करूँगी
क्यूँकि बिलकुल वैसी हूँ मैं जैसे मेरे पापा।