हमारी कविता
हमारी कविता
है दृनिया की खुबसूरत प्रतिमा
है वो फुलों की तरह
सजा जाती अपने घर को ऎसे
ना है उसके जैसे दूजा।
रखती इतना विश्वास खुदपे
कर जाती अपने सपनो को पूरा
खिल खिलाती चेहरे से लगे
वो तो है एक तोहफा खुदा की।
ना बहने दो आँसू कभी
करो पूजा सदा उसकी
है ये दुनिया उससे ही
उसके बिना जीवन नहीं।
कर ना सकें बयान
उसकी शक्ति का कभी
खुद बनाती पहचान अपनी
दिखती जाती महानता खुद की।
