#दिल#मां
#दिल#मां
दिल के दरवाजे मैं
सबसे पहली दस्तक
होती हैं मां के प्यार की।
धड़कन बनते ही,
जो धड़कती हैं नन्ही सी जान,
9 महीने हर रिश्तों से ज्यादा
करती है केवल,
एक मां ही उसको प्यार।
उम्मीदों की ऊंची मीनारें,
और खुशियों के ताजमहल
भी हम खड़े कर सकते हैं।
लेकिन मां के प्यार का कर्ज
हम कभी अदा नहीं कर सकते।
अर्श से फर्श तक
हर ख्वाहिशों के ख्वाब को,
शायद कोई पूरा कर दें।
लेकिन मां के प्यार की कमी
कोई भी,कभी भी पूरी नहीं कर सकता।
इतना असीम प्यार करके भी,
हर मां का दिल गम से भर जाता हैं
क्योंकि वो अपने बच्चों की तकदीर
नही लिख पाती।
इसलिए बच्चों के हर दर्द में
मां की पलकें दिल की गलियों में
सबसे पहले हैं भीग जाती।
