दिल की खामोशियों का शोर।।
दिल की खामोशियों का शोर।।
कभी - कभी लफ्ज़ मौन हो जाते हैं,
खामोशी सब कुछ कह जाती है ।
दिल के अकेलेपन का दर्द अक्सर तन्हाई में,
बन के आंसू आंखों से बह जाती है ।
चाहे दिखावे के लिए कितना भी अपनापन दिखा लो,
मैं पराई हूं तेरी आंखें ये सब कुछ कह जाती हैं।
रिश्तों में जो करोगे मिलावट मतलपरस्ती की,
फिर ये अपनेपन की दीवारें सनम डह जाती हैं।
अतीत के दर्द को हर वक़्त भूलना चाहूं मैं,
ना जाने क्यों ये यादें दिल में रह जाती हैं ।
टूटते रिश्ते को कर के कोशिश हम जोड़ तो लेते हैं,
लेकिन वो गांठें कहीं चुभती सी दिल में रह जाती हैं।
