दिल कि बातें दिल ही जाने
दिल कि बातें दिल ही जाने


दिल कि बातें दिल ही जाने
तुम क्या जानो हम क्या जाने
इश्क़ भी एक रोग है प्यारे
ये जात न देखे मजहब न माने
पढ़ा बुज़ुर्गों को तो मालूम हुआ
इश्क़ में डूब गए कितने दीवाने
रुसवा हुए हम जिसकी खातिर
वो आया नहीं मुझे मनाने
चराग लिए निकला मैं घर से
रात चाँद आया था मुझे जगाने
सब डूबे हैं अपने गम में
अब कौन यहाँ किसको पहचाने