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Dr Lakshman Jha "Parimal"Author of the Year 2021

Romance

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Dr Lakshman Jha "Parimal"Author of the Year 2021

Romance

दिल कहाँ लगाऊँ

दिल कहाँ लगाऊँ

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कहाँ दिल बहलाऊँ,

बहलता नहीं है !

दिल कहाँ लगाऊँ,

लगता नहीं है !


कहाँ दिल बहलाऊँ,

बहलता नहीं है !

दिल कहाँ लगाऊँ,

लगता नहीं है !


उसके पास जाने का बहाना हम ढूंढते हैं,

वे दूर- दूर रहके ही दीदार मेरा करते हैं !

उसके पास जाने का बहाना हम ढूंढते हैं,

वे दूर- दूर रहके ही दीदार मेरा करते हैं !


कैसे उसको रिझाऊँ,

रिझता नहीं है !

दिल कहाँ लगाऊँ,

लगता नहीं हैं !


थक गया हार के इजहार करते रह गया,

आप अनसुनी कर के पास से गुजर गए !

थक गया हार के इजहार करते रह गया,

आप अनसुनी कर के पास से गुजर गए !


कैसे उसको मनाऊँ,

मानता नहीं है !

दिल कहाँ लगाऊँ,

लगता नहीं है !


बातें तो करो शिकबा शिकायत छोड़ दो,

खता मेरी माफ कर रंजिशें सब तोड़ दो !

बातें तो करो शिकबा शिकायत छोड़ दो,

खता मेरी माफ कर रंजिशें सब तोड़ दो !


कैसे उनको बताऊँ,

मानता नहीं है !

दिल कहाँ लगाऊँ,

लगता नहीं है !


कहाँ दिल बहलाऊँ,

बहलता नहीं है !

दिल कहाँ लगाऊँ,

लगता नहीं है !


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