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Amit Kumar

Abstract Romance

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Amit Kumar

Abstract Romance

दिल के फूल

दिल के फूल

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दिल के फूलों का रस

उड़ेल दो उसकी 

बेजान क़ब्र पर

क्या पता चंद सांसें

फिर लौट आये उसमें

उस दिलरुबा महज़बीं के

सुर्ख़ होठों के तबस्सुम

फिर जिया लाये

कुछ मुर्दा हुई आरजुओं को

कोई संवेदना हो बाकी

तो कह दे वो एक बार

हम कुछ कहेंगे 

फिर उनके आते-आते

न गिर जाए लफ़्ज़

उसकी अंदाज़-ए-बयां करते-करते

शौकिनियाँ भी उनकी 

क्या-क्या रही है

भूख से बिलखते बच्चे

और निर्झर हुई लाशें.....

इश्क़ को उन्होंने

अपनाया है गैरों के

बस खो दिया खुद को

उनको रिझाते-रिझाते.....

     


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