अब मौत का मंज़र, जीने की अब किसको पड़ी है ये दुनिया.........। अब मौत का मंज़र, जीने की अब किसको पड़ी है ये दुनिया.........।
जगह नहीं कब्रिस्तान में भी अब थोड़ा सा विराम दे दो l जगह नहीं कब्रिस्तान में भी अब थोड़ा सा विराम दे दो l
हमें तो कोई अंदाजा ही नहीं क्या करे गुलामी देखी ही नहीं। हमें तो कोई अंदाजा ही नहीं क्या करे गुलामी देखी ही नहीं।
वरना चौखट मे तेरे भी दस्तक सी हो रही है। वरना चौखट मे तेरे भी दस्तक सी हो रही है।
पत्थरों से टकराती हुई न दिशा, न मंजिल जहाँ ले चलते हैं तुझे ये पहाड़ के आंचल। पत्थरों से टकराती हुई न दिशा, न मंजिल जहाँ ले चलते हैं तुझे ये पहाड़ के आंचल।
पल दो पल झुलसे बेवजह सी कहानी पल दो पल झुलसे बेवजह सी कहानी