दिल का ठिकाना
दिल का ठिकाना
इक कशिश सी जगी दिल में
तो दिल का कोई ठिकाना न रहा
प्यार के सफर में जो चाहत दिखी तेरी निगाहों में
तो नजरे चुराने का कोई बहाना ना रहा. .
तूने साथ चलते चलते जो हाथ थम लिया
तो तेरी बांहों से दूर जाने का कोई बहाना न रहा
इक कशिश सी जगी दिल में
तो दिल का कोई ठिकाना न रहा...

