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Chandni Purohit

Abstract Inspirational

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Chandni Purohit

Abstract Inspirational

दिल धड़कन और तुम

दिल धड़कन और तुम

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जाने मन मेरा किस सोच में डूबा जाने कहाँ है गुम 

विचलित जिया टकटकी लगाए निहार रहा कहीं शून्य 


समुन्द्र मंथन सा हो रहा दिल मेरा चारों तरफ सिर्फ तुम 

गुनाह किया क्या दिल्लगी करके या किया मैंने कोई पुण्य 


इनायत खुदा की मिलतीं नसीब वालों को बजने लगी धुन 

लौट आ मेरे रहनुमा जल्दी से इंतज़ार के पल बीते अगण्य


सरग़म नयी नित गूंजे शहनाई बसे दिल धड़कन में हम-तुम 

हर पल जाऊँ तुझपे वारी वारी मेरा तू दिलबर हूँ मैं तेरी सरगुन।


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