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Prem Thakker

Romance

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Prem Thakker

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दिकुप्रेम की जुदाई का एक वर्ष

दिकुप्रेम की जुदाई का एक वर्ष

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सुनो दिकु...

आज एक वर्ष पूरा हुआ दिकुप्रेम कि जुदाई का

फिर भी पहले की तरह शब्दों से में तुम्हारी मूरत घड़ रहा हूँ

इन अश्रुभिनी आँखों से, में दिकुप्रेम की कहानी पढ़ रहा हूँ


मैंने अपना सर्वस्व तुम्हें समर्पित कर दिया था

में हरपल, हर लम्हाँ, हर घड़ी, सिर्फ तुम्हारे नाम से ही जिया था


नही समेट पा रहा उन यादों को

जो तुम्हारे जाने के बाद बिखर गई

तुम से दूरी मेरे हरेभरे जीवन को

सूखे वृक्ष और ज़मीन की तरह बंजर कर गयी


पीड़ा से लथपथ हृदय के साथ में कतरा-कतरा जी जाऊंगा

विरह और वेदना के साथ ही सही

में हमारा पवित्र रिश्ता निभाउंगा


हार कर नहीं पर थकान से भर तुम्हारे इंतज़ार के साथ जीवन में बढ़ रहा हूँ

आज एक वर्ष पूरा हो गया दिकुप्रेम की जुदाई को

फिर भी पहले की तरह शब्दों से में तुम्हारी मूरत घड़ रहा हूँ।


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