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नम्रता सिंह नमी

Abstract

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नम्रता सिंह नमी

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दीया

दीया

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अंधेरी रात को चीरता

ये दीया बहुत ढीठ है


लाख आंधियां हो

तूफान कितना भी

जोर पर क्यों न हो

ये नन्हा सा दीया तो जलेगा


ये है आस का दीया

हमारी उम्मीद का दीया

तम को मात देगा

हमारे संबल का दीया...


कुछ यूं भरा है

हमने दीये में

अपने अरमानो को

ये लड़ के रहेगा

ये जी के रहेगा....



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