दीपों की जगमग
दीपों की जगमग
दीपों की जगमग हो जीवन में
फूलों की मुस्कुराहट हो लबों पे
ऐसे मनाये आप दिवाली- त्योहार,
हर जगह ही रोशनी दिखे
जग में मिटे तन-मन दोनों का अंधेरा,
ऐसी अद्भुत रश्मि निकले घट से
दीपों की जगमग हो सबके जीवन में
रोशनी फैले पड़ोसी के भी घर में
सब मिलकर रहे साखी हम
भाईचारे की भावना हो हममें
इस बार दिवाली ऐसे मनाये
कोरोना के अंधेरे को भगाये
ऐसा दीप जलाये सारे विश्व में
जगमग सी हो हर जीवन में
ऊंच-नीच का कोई भेद न हो
जाँत-पाँत का कोई रेत न हो
ऐसी लौ जलाये प्रत्येक घट में
साम्प्रदायिकता मिटे जड़ से
सौहार्द्र-प्रेम खिले कण-कण में
अबकी दिवाली कुछ अलग हो,
भारत बने ध्रुव तारा फ़लक में
