दीप
दीप
कितनों के दीपक बुझे, कितनो के खिले,
राम- राम करके हिंदू आपस में मिले,
एक बाती में है कितना दम
जिसमें छोटे- छोटे धागे भी नहीं है कम,
एक -एक धागे से जाता है तेल,
प्रकाश देती दीपक की बेल,
हिंदू धर्म यह राष्ट्र गर्व से भरा त्योहार,
एक राम ने कितना सुख किया न्यौछावर,
एक के दुख से कितने बन गये हिंदू ,राम
उस गरीब की एक रोटी के लिए दीपक
भी ले लिया करो मेरे ,श्याम
चिराग जलता रहे सदा आपके घर,
राम की खुशियाँ मिले आपको जिंदगी भर,
प्रकाश छाया अमावस्या की रात,
राम की निकली चौदह वर्ष की बारात।