Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

दीप जलाएँ

दीप जलाएँ

2 mins
378


दीप जलायें तो तमस हटे अन्धकार को दूर भगाये

अंधकार के अमावस मनमें अंजाना रिश्ता ज्योति पर्व बनाये

जग साँची बात है जब से इस मायापुरी में आये

बुद्वा पोटली रिश्तों की भर संग पीठ पर लाये

जीवन क्रम की रीत यही खोना पाना मिलन जुदाई 


आस पास अपनों की यादें मानस पटल में थी छाई

फिर संसारी रिश्तों का खेल देख अन्तर्मन जाग गया

मन का चिराग बुझ गया धुआँ भरम का छँट गया


थकित मन को राहत मिले ऊर्जा लेने

मुखिया को छोड़ सब साथ चले 

मौज मस्ती भाग दौड़ में दिनं बीतते पता न चले 

बोझिल आँखें मानो जड़ हो गई गया बाई ने खबर किया

फ्लोनोग्राम में अटकी सुई छुट्टी दो

बाली ने भागदौड़ इन्तजाम किया

बतला सदस्य परिवार का शल्यचिकित्सा बाबूजी की

करवा क्या जीवन दिया।


बेबस वदहवास जिदंगी इक पल मानो ठहर गई

उसके सुर कोसों दूर से कानों में रस घोल गई

उसके मात्र स्पर्श से जज्वातों का सैलाव विखर गया

ऐसालगा उसकी साँसों ने अपने दामन में सिमटा लिया


ये भी रिश्ता अल्फाजों का जिसने जुलाहे जैसा काम किया

तार तार बींध धागे से रिश्ते की ऐंठन को सीधा किया

उम्र के पड़ाव में दो पल जीना हँसना रोना सिखा दिया

तन मन को सुकून दिलाना उस हमर्दद ने बता दिया


जैसे जीवन में जीने के लिये हवा, पानी, उर्जा मिलती रहे

अमीरी गरीबी ऊँच नीच का भेदभाव त्याग

सदा दिल में बसाते रहे 

ये अनमोल चिराग है जलते रहें चलते रहें

विश्वास के साथ अपनाते रहें।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract