दीदार
दीदार
कर दीदार हुस्न की
मुद्दतों की राबता नजर आए
लिखे हो जो प्यार के शब्द
वो दरखतों पे बयां करें
ढूंढती रहे नजर हरदम
जैसे जिगरी हमसफर हो मेरा
कयामत तक हम दोनों का
हाथों में हाथ रहे तेरा
किसी की न बंदिश हो
न किसी की सहारा
अपनी ही कर्मों से
मिल के करनी है गुजारा
रात दिन तेरे बांहों में हो
मेरा ख्याल भी सहराओं में हो
चैन में भी तुम रहो
मुसीबत में भी तुम रहो
दुख में भी तुम रहो
सुख में भी तुम रहो
जागती रातों में भी
नींद बन के मैं सोऊं
गम गर हो तो तुझे
खुशियों का बीज मैं बोऊं
मेरी मंजिल की प्यास में
राही बन के साथ चलो
न हो कभी एतबार तो
शाम बन के तुम ढलो
आंखों की तारा तुम हो
चांद की चांदनी भी तुम
सूरज की नूर भी तुम
मेरी फजां भी तुम हो
बसंत की खिजां भी तुम हो
खेतों की सब्ज हो तुम
मेरी जिंदगी की रम्ज हो तुम