धुंआ धुंध
धुंआ धुंध
बीड़ी सिगरेट
हर कश के साथ
सिमटती जिंदगी।।
जवानी में भी खांसते
खांसते गुजरती जिंदगी
कैंसर से तड़फ तड़प
कर जिंदगी गुजरती।।
हाय से इंसान बीड़ी
सिगरेट चिंगारी धुंआ
कब्र की घुटन श्मसान
आँगर ज्वाला में बदलती।।
बीड़ी सिगरेट का धुंआ
धीरे धीरे दम घोंटता
फड़फड़ाता इंसान
रिश्ते नातो की सिसकियों
द्रवित होता समय समाज।।
धन दौलत की बर्बादी
हर कस धुंए में दावत
कंगाली।।
घर परिवार बीबी बच्चे
करते मिन्नत गुजारिश
प्रियतम जीवन से प्यार
करो मत मेरा जीवन
बर्बाद करो।।
बेटे बेटी की याचना
पापा मेरे भविष्य पर
रहम करो ना हो जाऊं
लावारिस संयम संकल्प
करो।।
हर रिश्ता नाता कहता
धूम्रपान के धुएं जीवन
ना धुंध असमय ना
ध्वस्त करो।।
चेतावनी वैधानिक भी
कुछ कर नही पाती
निर्भय निडर इन्सान
मौत के अंधे कुएं में
जान बूझ कर गिरता
जाता दुनियां कहती
रहती अब तो खत्म
करो।।
नशा दल दल है
फंसता जाता इंसान
फंसता धंसता बिलिन
हो जाता इंसान।।
सिगरेट बीड़ी का
कस धुंआ लेता
असमय जान
खुद से प्यार करो
परिवार समाज जीवन
से प्यार करो मूल्यवान
है जीवन ना बर्बाद करो।।

